About The Book

श्री गुरुवे नमः शास्त्रों के अवलोकन और महापुरुषों के मार्मिक वचनों को सुनने पर मैं इस निर्णय तक पहुंचा हूं कि संसार रुपी इस महा सागर से पार होने का श्रीमद् भगवत गीता ही एक सद्भावना है जिसके अध्ययन मनन करने के पश्चात् मुनष्य को कल्याण के लिये गीता में ज्ञान योग ध्यान योग कर्म योग भक्ति योग आदि के बहुत से साधन वर्णित हैं उनमें कोई भी साधन अपनी श्रद्धा रुचि और योग्यतानुसार प्रयोग कर जीवन के सार्थक उदेश्य को मनुष्य प्राप्त कर सकता है।अतएव मानव जीवन की सार्थकता एवं परमात्मा के रहस्यमय तत्व को जानने के लिये महापुरुषों का श्रद्धा प्रेम व आदर पूर्वक संग करने की चेष्ठा रखते हुए श्रीमद् भवगत गीता का भाव सहित मनन कर उसका अनुसरण करने पर अपना जीवन सार्थक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।महानुभाव! श्री गीता जी के मानव जीवन में उपयोगिता को ध्यान में रखकर उसे सरल भाषा में संगीतमय आपके लाभार्थ प्रस्तुत कर रहा हूं और आशा करता हूं कि आज हर मानव श्री गीता जी का भाव हृदयांगम कर अपने जीवन के मूल उदेश्य को जानकर उसे प्राप्त करने का प्रयास करें।निवेदकराज दास (स्वामी निराकार सतधाम आश्रम बांधमऊ बिधूना औरैया उत्तर प्रदेश)
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