Shreshth Se Shreshthtam Kaise Bane (श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम कैसे बने)

About The Book

इस पुस्तक का सबसे महान संदेश यह है कि मानव आत्मा अचूक और अपराजेय है और परमात्मा ने प्रत्येक मानव में एक असाधारण सामर्थ्य का बीज डाला है। और यदि कोई व्यक्ति अपने उस पूर्ण सामर्थ्य तक नहीं पहुँच पाता तो दोष उस व्यक्ति में नहीं बल्कि उसके चारों ओर के वातावरण सामाजिक ढांचे और परिस्थितियों में होता है।<br>यह एक आत्म-सहायता रूपी मार्गदर्शिका है जो न केवल आत्मसुधार में सहायक है बल्कि आत्मविकास आत्मपरिष्कार और आत्मशांति की ओर भी ले जाती है। मैं डॉ. वी. के. शेखर की दार्शनिक गहराई को समझने की क्षमता और उसे सामान्य पाठकों के लिए बोधगम्य रोचक और ग्राह्य रूप में प्रस्तुत करने की प्रतिभा से अभिभूत हूँ।
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