Shreshtha Sukti Sanchayan (श्रेष्ठ सूक्ति संचयन)

About The Book

सूक्तियों के गहन संसार में अनगिनत डुबकियां लगाने के पश्चात् यह महसूस होना कोई अजूबा नहीं कि उनके पीछे मानव की अप्रतिम प्रतिभा का वास होता है। सत्य तो यह भी है कि जो प्रतिभा अपने समय तक प्रचारित एवं प्रसारित ज्ञान प्रवाह को यथा सामर्थ्य आत्मसात करके उसे यथाशक्ति - यथाक्षमता नूतन दिशा देने का प्रयास करती है वह स्वगृहित विषयानुसार लेखकों दार्शनिकों बुद्धिजीवियों में परिगणित होने का अधिकार रखती है। लेकिन इसमें शर्त यह है कि उसका विशद मानवतावादी होना अनिवार्य है। मानवीय संवेदनाओं से संयुक्त ऐसी प्रतिभा समग्र मानवता को अपनी संवेदनायें प्रदान कर कालातीत और कालजयी हो जाती हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सहज स्वाभाविक रूप में उसके चिंतन के केंद्र में मानवीय जीवन अपने समस्त सौंदर्य और विरोधाभासों के साथ रूपाकार प्राप्त करता है।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE