लेखक परिचयलेखक डॉ हरिवंश पांडेय ने राजा बलवंत सिंह महाविद्यालय गणित बिषय के आचार्य एवम विभागाध्यक्ष पद से 2014 में अवकाश प्राप्त किया था। आपको डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने गणित में डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि से 1987 में अलंकृत किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक परास्नातक और डॉ ऑफ फिलाँसोफी की डिग्री हासिल कर के 1976 से राजा बलवंत सिंह महाविद्यालय के विज्ञान संकाय के गणित विभाग में प्रवक्ता पद से आपने शिक्षण कार्य प्रारंभ किया। आपने कई छात्रों को Ph.D. करवाया जो इस समय प्रोफेसर प्राचार्य आदि पदों पर आसीन हैं। प्रस्तुत पुस्तक श्री कृष्ण चरितामृतम् एक ऐसी पुस्तक आपके समक्ष है जो आपको ऐसे महान नायक के चरित्र से रूबरू करवाएगा जिसे पढ़ कर जीवन जीने की कला हम सीख सकते हैं। यह कथा श्री मद्भागवत् के स्कन्ध एक से दशम तक की है। श्री मद्भागवत में कुल 12 स्कन्ध हैं 11 और 12 वाँ स्कन्ध पुस्तक ‘‘हम परम लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें?’’ में प्रकाशित हो चुकी है।प्रश्न है कि क्यों इस पुस्तक को लाया गया जबकि पुराण पहले से है और उस पर बहुत से लोग बहुत कुछ कहते रहे हैं इसका समाधान है विषय का अति विस्तृत होना। पुराण इतने विस्तार से लिखा गया है कि आज के भागम् भाग में लोगो के पास समय ही नहीं है कि उसे पढ़े उसमे निहित ज्ञान को अपने उन्नति के लिए प्रयोग करें। अतः इस पुस्तक में संक्षेप में उसी विषय बस्तु को आपके समक्ष लाया गया है। संक्षेप का मतलब कुछ खास छोड़ा नहीं गया है।इससे हम सीखेंगे कि जीवन को उज्ज्वल बनाने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए। जीवन मे कठिनाइयां तो बार बार आएगी पर हँसते हुए उनको कैसे अवसर में बदल दिया जाय इसे समझेंगे।आज के नवयुवक हमारे सनातन धर्म की पुस्तकों को बस देख लेता है उसे आत्मसात् नही कर पाता। उसके कोर्स में ये पढ़ाया भी नहीं जाता।इस पुस्तक का उद्देश्य जन जन के (श्री कृष्ण के चरित्र को जीवन मे उतार कर) जीवन को प्रेम मय आनंद मय बनाना है। भाषा देवनागरी है जिसे अति सरलीकृत करके आपके समक्ष लाया गया है।आशा है आप सभी इसे पढ़कर लाभान्वित होंगे।सभी का मंगल हो।लेखक: डॉ. हरिवंश पांडेय D.Sc. (गणित)
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