Shrimad bhagwat mahapatra ( sachhipt katha avam pravchan) bhag 2


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About The Book

पुराणों के पठन-पाठन एवं वाचन की परंपरा रखने वाले कुल में उत्पन्न होने के परिणामस्वरूप इस विधा में मेरा पूर्ण प्रवेश 2020 में कोरोना लॉकडाउन के समय हुआ। मेरे पिता पं. लक्ष्मीकांत पाठक ने अपनी कुल परंपरा के अनुसार ही अपनी संस्कृत की संपूर्ण शिक्षा वाराणसी में व्याकरण से आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण कर पूर्ण की परन्तु मुझे संस्कृत की शिक्षा पाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ और मैंने पर्यावरण जीव विज्ञान से एमएससी करने के पश्चात एलएलबी की परीक्षा रीवा विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। फिलहाल लगभग दो वर्षों की साधना का परिणाम इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है। ये मेरे कुल में प्रचलित वाचिक परंपरा को शब्द रूप में परिणत करने का मेरा प्रयास है।
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