यह दो नाटकों का संग्रह है। इसे बद्रीनाथ जी ने अपने लेखन की शुरूआती दौर में लिखे थें। इसका लेखन मूल रूप से 2009-10 के बीच में हुआ था। उस दौर के समझ के अनुसार उम्दा लेखनशैली है। जिसमें दो नाटक हैं। दोनों के दोनों अवसाद नाटक हैं। एक में जहां बद्रीनाथ जी ने अपने संघर्ष के दिनों में अपनी दोस्ती और जगहों का ज़िक्र किया है तो दूसरे में उन्होंने दो बुज़ुर्गो की मानसिक स्थिति को बयां किया है। जब उनके बच्चों द्वारा वे उपेक्षित होते रहते है। एक सामाजिक नाटक के तौर पर पेश करते हुए उन्होंने बहुत ही बेहतरीन तरीके से सबकुछ दर्शाया है।
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