बहुत दूर और बहुत देर तक चलने के बाद पता चलता है कि हम चल क्यों रहे हैं । वास्तव में हम अपनी एक ऐसी दुनिया की तलाश में होते हैं जो इस दुनिया से कम से कम रत्ती भर तो बेहतर हो । यह किताब किसी ऐसी ही दुनिया में जाने का एक रास्ता है । एक ऐसा रास्ता जो सफर भर में हमें यह बताता जाता है कि हम अपने आपकी ओर आहिस्ता आहिस्ता बढ़ रहे हैं । "श्वेत पृष्ठ" समाज के अंतर्द्वंदों विरोधाभाषों और आडंबरों पर जहां एक ओर गहरी चोट करती है वहीं दूसरी तरफ़ प्रकृति से जुड़ाव को सफलता का मूल मंत्र बताते व एक नई दुनिया की सैर कराते हुए समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है । -राष्ट्रीय सहारा "श्वेत पृष्ठ के कवि का आत्मदाह से प्रकाश उपजाने का उनका संकल्प उनकी रचनाओं को धारदार बना देता है । अभिषेक की कविताएं सद्भावनाओं पर शब्द और भावों के हथौड़े से निरंतर चोट करती हुई दिखती है । रूढियां चाहे देश समाज जाति धर्म ऊंच नीच भाषा भाव अथवा लिपि ही क्यों न हों कवि उनका पक्षधर न होकर सच्चे मानव मूल्यों के बंद दरवाज़ों और गवाक्षों को खोलता है । युवा कवि अपने भावुक मन और अपने तरल सरल शब्दों की योजना से पाठक को पूरी मार्मिकता के साथ सोचने के लिए विवश कर देता है ।" -योगेंद्र मणि त्रिपाठी ईमेल:
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.