लेखिका ने शिक्षा में अपने काम के दौरान क्या सीखा इसका जिक्र करने से भी वे नहीं हिचकिचाती हैं। वे कहती हैं फ्मैंने बच्चों के साथ काम करना ही नहीं सीखा वरन् यह भी सीखा कि खुद कैसे सीखा जा सकता है और कैसे सिखाया जा सकता है।य् वे शिक्षा की कुछ जरूरी बुनियादी बातों या यूँ कहें कि सिद्धांतों को सामने रखती हैं और फ्रिफ़र उन्हें अनुभव के वृत्तांतों में कहने की कोशिश करती हैं। किताब के सभी लेख सहज सरल व प्रवाहपूर्ण भाषा में लिखे गए हैं जिन्हें शिक्षा में काम करने और सरोकार रखने वाले व्यक्तियों के साथ ही कोई भी आम पाठक पढ़ और समझ सकता है। इस किताब को प्राथमिक शिक्षा में कार्य करने वाले और शिक्षा में काम की शुरुआत करने वाले व्यक्तियों के लिए अच्छी स्रोत सामग्री के तौर पर देखा जा सकता है। --गुरुबचन सिंह