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About The Book
Description
Author
1947 के भारत-विभाजन के कारण बसरमल जेठाराम पुरस्वाणी नामक नौजवान की मातृभूमि सिंध पाकिस्तान में ही छूट गई। और साथ ही छूट गई उसकी पहली मुहब्बत! उसे वापस पाने के लिए उसने अपने जीवन का सबसे ख़तरनाक दुस्साहस किया। एक दरवेश ने उससे कहा “तुमने जो कुछ खोया है वह तुम्हें किताबों में मिलेगा।” उसने मुंबई में एक लाइब्रेरी खोल ली। क्या उसे वे सब चीज़ें मिल पाईं? मुंबई का लैंड माफ़िया उसके पीछे पड़ा हुआ है। अपने घर वालों से परेशान एक नौजवान मैनेजमेंट छात्र उससे मित्रता करता है और एक काल्पनिक प्रेम-संबंध की रचना