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About The Book
Description
Author
राहुल जी के साहित्य के विविध पक्षों को देखने से ज्ञात होता है कि उनकी पैठ न केवल प्राचीन नवीन भारतीय साहित्य में थी अपितु तिब्बती सिंहली अंग्रेजी चीनी रूसी जापानी आदि भाषाओं की जानकारी करते हुए सतत साहित्य को भी उन्होंने मथ डाला। राहुल जी जब जिसके सम्पर्क में गये उसकी पूरी जानकारी हासिल की। जब वे साम्यवाद के क्षेत्र में गये तो कार्ल मार्क्स लेनिन स्तालिन आदि के राजनीतिक दर्शन की पूरी जानकारी प्राप्त की। यही कारण है कि उनके साहित्य में जनता जनता का राज्य और मेहनतकश मजदूरों का स्वर प्रबल और प्रधान