‘सिर्फ मोहब्बत’ एक किताब ही नहीं एहसासों का एक ऐसा पेड़ है जिसकी हर शाखा अंदाज़े- बयाँ का तरीका है। ये ज़रूरी नहीं है कि ग़ज़ल उसे लिखने वाले की आपबीती हो पर हाँ ये उसका जज़्बातों को महसूस करने और बताने का तरीका होता है। किताब के रूप में ये मेरा पहला प्रयास है आशा करता हूँ आपके दिल के किसी ना किसी कोने को ज़रूर छेड़ेगा।
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