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About The Book
Description
Author
A Poetry Book in Hindi भूल नहीं पाती हूँ मैं अपने देश वेफ खेत-खलिहानों को हरियाले चाय बागानों को गंगा की निर्मल धरा को कश्मीर वेफ हसीन नजारे को भूल नहीं पाती हूं मैं। सागर की मस्त हिलोरों को मेले में लगे हिंडोलों को होली औ तीज दीवाली को उगते सूरज की लाली को भूल नहीं पाती हूं मैं। अपने गांव की गलियों को त्योहारों की रंगरलियों को चूरन की खट्टी गोली को सखियों की भोली टोली को ममता की मीठी लोरी को भूल नहीं पाती हूं मैं। सावन की मस्त घटाओं को पीपल की ठंडी छांव को पनघट पर बैठी गोरी को गन्ने की मीठी पोरी को भूल नहीं पाती हूं मैं। बाबुल वेफ प्यारे आंगन को ससुराल वेफ पहले सावन को बचपन की मीठी हाथा-पाइयांे को बिछडे़ बहनों और भाइयों को भूल नहीं पाती हूं मैं।