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About The Book
Description
Author
स्मृतियों के मृग जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण भी आते हैं जब हम अपने मानस पटल पर अंकित स्मृतियों को चाहकर भी विस्मृत नहीं कर पाते हैं बार-बार कोई दृश्य चित्र आंखों में लहराता है स्मृतियां किसी चंचल मृग के समान कुलांचे भरता है| यही वह क्षण होते हैं जब हम अपनी स्मृतियों को शब्द बीजों के रुप में कविता के खेत में बिखेर देते हैं शब्द अंकुराते हैं सुधियों की बारिश से भीग-भीग कर मन की धरा हरियाती है फिर कविता के खेत लहलहाते हैं...। ऐसे ही कुछ खास क्षणों में जन्म लिए हैं मेरी कविताएं और मैं लिखती गई| विषय मेरे आस पास के ही होते हैं विषयानुरूप शब्दों और भावों से अलंकृत कर रचना धर्म निभाती हूं| कभी-कभी मेरी कविताएं इतनी जीवंत हो जाती हैं कि स्वयं ही विस्मित सी होकर विषय से हटकर उपमानों का प्रयोग करने पर बाध्य हो जाती हूं| उम्मीद करती हूं स्मृतियों का मृग कुलांचे भरते हुए जब आप सभी सुधी पाठकों तक पहुंचेगा तब निश्चित ही आपके स्मृतियों में भी अनेकानेक स्मृति पल्लव विकसित होंगे..।