Smritiyon Main Tum Fir Se (Hindi)

About The Book

मेरी स्मृतियों में तो फूलों से तोरण बनाती हुई मेरी बिटिया हँस रही है। मेरे साथ मठरी बनाती हुई द्वार पर रंगोली सजाती हुई गिट्स के गुलाब जामुन खाकर उंगली और अंगूठे से 'वाह' का साइन बनाती हुई इस घर में दीयों में जगमगाती हुई निधि दिखाई दे रही है। कहाँ हो तुम निधि ? हाँ ठीक है। तुम खुश हो। तुम्हारे ईश्वर का आशीर्वाद और घर ज्यादा अच्छा है। पर इस घर का क्या ? लोग कहते है भूल जाओ। पर कैसे ? कैसे भूलूँ उसे ? उसकी याद को ? उसके हंसते चेहरे को ? उसकी भोली मुस्कुराहट को ? उसके इस घर में बिताए क्षणों को ? उन पलों को जिनमें जीवन है। जिनमें आशा है। जिनमें उम्मीद है। सूरज ने आसमान पर टिकली लगाई है... आसमान सुनहरी आभा से जगमगा उठा है। बहुत दिनों बाद मुस्कान आई अधरों पर । अब रात आएगी। अमावस्या का अंधेरा क्षितिज तक फैल जाएगा। पर हम दीप जलाएंगे। तुम्हारे बिना जलाएंगे। यह उम्मीद का प्रकाश तुम तक पहुँचेगा निधि। तुम्हारी राहें भी जगमग हो जाएंगी।
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