So Rahi Samvedana

About The Book

सो रही संवेदना • हृदय की वे अन्तहीन पीडाएँ हैं जो सिर्फ मेरी ही नहीं आपकी भी हो सकती है हर संवेदनशील मानव की हो सकती है जिसे मैंने स्वंय पर झेला है और देखा-सुना है अपने गाँव पास-पड़ोस शहर या देश के किसी न किसी कोने में घटित होते हुए। संवेदन हीन घटनाएँ सो रही संवेदना का ही दुष्परिणाम हैं. जिसे मैंने शब्दों में ढालक़र आपतक पहुँचाने की कोशिश की है। संभव हैं सभी रचनाओं का सीधा सम्बन्ध सोती हुईं संवेदऩा से न हो परन्तु प्रत्येक रचना की उत्पत्ति में संवेदऩा का सीधा सम्बन्ध है जो हमारे अन्दर की सोती हुई संवेदना को जगाने का प्रयास करेगी।
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