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About The Book
Description
Author
About the Book: प्रस्तुत पुस्तक ‘‘सान्नेटें दी माला- 3.’’ में कुवंर वियोगी की ब्याज के तीन भाग 16 17 सम्मिलित हैं जिसमें क्रमशः 220 व 266 सान्नेटस् याने कुल 486 सान्नेटस् हैं। ये सान्नेट जीवन के विभिन्न दर्शन अनुभव व प्रेम विरह जम्मू चिनाब आदी पर लिखी गयीं है। आधुनिक डोगरी व अंग्रेजी भाषा में कुंवर वियोगी का साहित्य-समृद्धि दार्शनिक गंभीरता और पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान रहा है। संवेदनशीलता आत्मवादी द्दष्टि सौन्दर्य चित्रण मूल्यों के प्रति समर्पितता राजनैतिक व सामाजिक कुप्रथाओं पर प्रहार व विद्रोह सदा रेखांकित किया जावेगा। विभिन्न साहित्यीक विधाओं में अनुभूति की सूक्ष्मता चिंतन की गंभीरताए करूणा प्रेम रहस्य कर्तव्य चेतना कवि को एक विशिष्ट व्यंितव प्रदान करता है। डोगरी अंग्रेजी उर्दू हिन्दी मे आधिकारिक योग्यता से अनुभूतियों विचारों की अभिव्यक्ति सरल स्पष्ट हो जाती है। गद्य और पद्य में भेद भी नजर नहीं आता है।विलक्षण स्मृति से ठेठ-लोक से आधूनिकता परपंरावादी से आधूनिकतावादी में तुरंत ेीपजि. वदध्विि हो जाते हैं। स्वगत शोक से विश्वशोक व स्वगतआनंद से विश्व आनंद की यात्रा अनायास ही हो जाती है। संवेदनशील कवि को बाह्यदुःख संसार के बंधन में बांधते हैंवहीं देश-काल की सीमा में बंधी असीम चेतना का क्रदंन भी है। बाह्य व आंतरीक दुखों की अभिव्यक्ति गद्य में आसान होती है पर भाषा पर पकड़ से कवि ने पद्य में भी उतनी ही सरल. सहज अभिव्यक्तिकी है। अलंकारों का ज्ञान न होने पर भी कबीर की मानिंद उपमा उपमेय शब्द अर्थों की भी अभिव्यक्ति अनुपम है। देश-काल का पुनः सर्जन गोचर साक्ष्यों से अगोचर सत्यों तक पहूंचा देती है।