<p>आरटीआई अधिनियम को लागू हुए 16 साल बीत चुके हैं लेकिन हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इस कानून से अनजान है। जो जागरूक हैं उनमें से केवल कुछ ही नागरिक आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के बारे में अच्छी समझ रखते हैं।</p><p>सरकारी कार्यालयों में आरटीआई अनुरोधों को संभालने के लिए लोक सूचना अधिकारियों को नामित किया गया है लेकिन इस विषय पर उचित प्रशिक्षण की कमी के कारण वे अक्सर अधिनियम द्वारा निर्धारित किए गए तरीके से अनुरोधों का निपटान करने में विफल रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में अपीलें दायर होती हैं जो सूचना आयोगों में आरटीआई के लंबित मामलों की संख्या को बढ़ाती हैं और इस प्रकार आरटीआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती है।</p><p>इस पुस्तक में अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने की विस्तृत प्रक्रिया दी हुई है। इसमें आरटीआई अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के सही अर्थों को समझाने के लिए कोर्ट के फैसले भी शामिल हैं। सरल शब्दों में यह पुस्तक आरटीआई आवेदकों के साथ-साथ लोक सूचना अधिकारियों दोनों के लिए ही एक ऐसी गाइडबुक है जो यह समझाती है कि अधिनियम के तहत किस प्रकार की सूचना प्राप्त/ प्रदान की जा सकती है।</p>
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