Sparsh

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Sparsh by Dr Raghavendra Pratap Singh Alpagya (Author)प्रभु श्री राम की कृपा से संकल्प को चिंतन स्वरूप देकर हिन्दी साहित्य दर्शन को विज्ञान शोध की कसौटी पर रखकर पद्य की नव विधा की प्रस्तुति का प्रयास है। जितनी मेरी समझ है साहित्य में स्वत्व पाकर कृति में प्राण झोंकने का उत्कृष्ट कार्य करने की क्षमता वही रचनाकार अधिक रखते हैं जो पेशे से रचना लेखन में ना हों। अल्पज्ञ पेशे से रचनाकार ना है मेरा प्रयास साहित्य को समय के तराजू पर रखकर विज्ञान शोध में पिरोकर अमिट वर्ण विन्यास के सटीक संयोजन के साथ रचना लेखन का है। हिन्दी साहित्य के उत्थान में अंशदान की सोंच है आशावान हैं की रचना के शब्द संयोजन निर्मल साहित्य के अध्याय रूप को धारण कर मानव कल्याण में सहायक होंगे। वर्तमान सामाजिक परिवेश में मौलिक स्थितियों परिस्थितियों से जुड़कर मर्यादा सज्ज परम्परा में संलिप्त रह पद्य नव विधा को आलोकित करने का सार्थक प्रयास है। जनश्रुति अनुश्रुति एवं अनुभव उत्कृष्ट सृजन को मूल्य प्रदान करने का प्रमुख स्रोत है। सम्पादक की सोच प्रभावी करती है भाव को। रचित पंक्तियाँ स्वस्थ जागरण को प्रभावी दिशा दें की हार्दिक अभिलाषा है। संकल्प को दर्शाती अधो -अंकित पंक्तियाँ बहुत कुछ कह रहीं …..समझ सब आता कहाँ धुंधला बहुत है साथ में रास्ता सघन है छाँव भी है ठांव पर दिखती नही। भटके बिना कर्तव्य पथ से पथ बना दूंगा नया रास्ता बुनूंगा कुछ अलग इतिहास रच दूंगा नया ।। (मंजिल से)
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