चंद्रकिशोर जायसवाल का परिचय सिर्फ इतना नहीं है। उसके लिए यह पूरी किताब है जिसमें लेऽक धनेश दत्त पांडेय ने बारी-बारी से उनका परिचय उनकी कथाओं कथानकों किरदारों भाषा और शिल्प और कल्पना लोक में विचरते उनके किरदारों के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है। ...इस किताब का इसलिए भी महत्व है क्योंकि आज भी चंद्रकिशोर जायसवाल का ज्यादातर साहित्य आम पाठकों और साहित्य के मर्मज्ञों की निगाह में नहीं आ पाया है.... ...ऐसे में इस किताब का एक अतिरिक्त महत्व यह हो सकता है कि यह जायसवाल जी की दुनिया में झांकने की एक खिड़की हो सकती है ठीक विंडो शॉपिंग वाली खिड़की की तरह जहां टंगे उत्पादों को देखकर ग्राहक आकर्षित होता है और दुकान में दािऽल होता है। उसी तरह इस किताब को पढ़कर पाठक चंद्रकिशोर जायसवाल जैसे दुर्लभ और अनूठे कथाकार के रचनाओं के अथाह सागर में डुबकियां लगाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकता है।... --पुष्य मित्र
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