एक ऐसी घुमक्कड़ नवयुवक की कहानी है जो अज्ञात तृष्णा को अन्तर में समेटे हुए जीवन-भर भटकता रहा। अनेक सुन्दरियों के सम्पर्क में रहकर भी वह वैरागी ही बना रहा। सबका होकर भी वह किसी का न बन सका ।<br>बंगला के उपन्यास सम्राट शरत्चन्द्र की विश्व विख्यात अमर कृति।
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