श्रीमद्भगवद गीता एक प्रेरणादायक ग्रन्थ है। गीता एक मार्गदर्शक के रूप में भारतीय संस्कृति में एक विशेष महत्व रखती है। गीता ज्ञान ७०० श्लोकों के रूप में १८ अध्यायों में वर्णित किया गया है। गीता का पहला अध्याय कौरवों और पांडवों के विवाद के कारण हुए महाभारत युद्ध के प्रारम्भ काल से शुरू होता है। दोनों सेनाओं के आमने सामने आने के बाद अर्जुन युद्ध न करने की मनोदशा से पीड़ित होता है और भगवान श्रीकृष्ण से सहायता की गुहार लगाता है तथा आखरी अध्याय में वह अपना युद्ध करने का निर्णय ले लेता है। निर्णय लेने की प्रेरणा उसे श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए ज्ञान से मिलती है। विभिन्न अध्यायों में मानव कल्याण से सम्बंधित विभिन्न पक्षों को श्रीकृष्ण बड़ी सरलता से अर्जुन के साथ वार्तालाप करते हुए विस्तृत रूप से समझाते हैं। इस ग्रन्थ में निहित ज्ञान को हिंदी बोलने और समझने वाले लोगों तक पहुँचाने के लिए सरल दोहों में रूपांतरित करके इस पुस्तक की रचना की गयी हैपुस्तक के विषयों को आम आदमी के समझने के लिए एक सरल रूप दिया गया है इसलिए बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। दोहों में वर्णन करने से ये ज्ञान और भी सरलता से समझा जा सकता है इसलिए इस पुस्तक की रचना की गयी है। पुस्तक का हर अध्याय एक भिन्न और विशिष्ट पहलू को उजागर करता है। पाठकों की सुविधा के लिए सब अध्यायों और दोहों को क्रमांक दिया गया है। अतः पुस्तक का नाम श्रीमद्भगवद गीता - सरल दोहा रूपांतर रखा है।।
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