श्री भगत सिंह विहंस द्वारा रचित पुस्तक सृष्टि “खंड काव्य” बहुत अथक परिश्रम और कई वर्ष के लगातार प्रयास के उपरांत पूर्ण हुई है | इसके बाद भी लेखक ने स्वीकार किया है कि सृष्टि का वर्णन वह सृष्टि का पूर्ण वर्णन कभी नहीं कर पाएगा | सृष्टि का कण कण रहस्यमयी है सृष्टि के जड़ व चेतन में पल पल परिवर्तन हो रहा है नित नवीन हो रही है | धरा आकाश अग्नि जल पवन कहा से आएं हैं जिनसे सारा संसार सृजित हुआ है | मनुष्य कितनी ही कोशिश करले सृष्टि का कण मात्र रहस्य भी नहीं पा सकता | सभी सृष्टि की आलौकिक रचनाएं अपने आप स्वचालित ढंग से अपना कार्य कर रही हैं जैसे – रात और दिन का होना सूर्य का उदय तथा अस्त होना और प्राणी के जीवित रहने के लिए जिस वास्तु कि भी आवश्यकता है उसका सृष्टि में पहले से ही बनी हुई होना यह चमत्कार कैसे हुआ है और हो रहा है किसी कि भी समझ से परे है | सृष्टि के नियमो को कोई नहीं बदल सकता सृष्टि के आगे मनुष्य विवश एवं पराजित है | भगत सिंह विहंस साहित्य के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है आप विहंस सिरीज के संस्थापक हैं । आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं 1. सपनो का भारत (कहानी संग्रह) 2. पीपल कि छाव (कविता संग्रह) 3. सृष्टि (खंड काव्य) तथा दो पुस्तकें - 1. गुलदस्ता 2. परदेसी राँझा प्रकशाधीन है पाठकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को बहु ही सराहा जा रहा है। लेखक द्वारा लिखित कहानियों में पहले समाज कि समस्याओं को उजागर किया जाता है उसके बाद उसका समाधान बताया जाता है और कविताएँ भी लगभग हर विषय पर लेखक द्वारा लिखी गयी है सृष्टि (खंड काव्य) संसार कि एक अद्भुत पुस्तक है जिसमे लेखक ने स्वीकार किया है कि सृष्टि इतनी विशाल असीमित एवं रहस्यमयी है जिसका पूर्ण वर्णन करना असंभव है।
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