सुबह’ एक ऐसी कहानी है जो ज़्ामींदार परिवार में जन्मी ‘वसुध’ के इर्द-गिर्द घुमती है। जहां उसके पिता ज़्ामीदार सोमनाथ उसकी जि़्ांदगी का एक अहम पैफसला करते हैं और जिसे ‘सुबह’ एक ऐसी कहानी है जो ज़्ामींदार परिवार में जन्मी ‘वसुधा’ के इर्द-गिर्द घुमती है। जहां उसके पिता ज़्ामींदार सोमनाथ उसकी जि़्ांदगी का एक अहम फैसला करते हैं और जिसे वसुधा न चाहकर भी स्वीकार करती है। उस फैसले से वसुधा की आगे की जि़्ांदगी में कुछ ऐसे हालात पैदा होते हैं जिससे उसके जीवन में आए एकाकीपन से उसकी जि़्ांदगी एक नया मोड़ लेती है और वह कलम का दामन थामती है। और यहीं से जन्म होता है एक नई वसुधा का। वह आगे बढ़ती जाती है और अपने जीवन में छाए अंधकार को चीरते हुए एक अनपेक्षित मुकाम पर पहुंच जाती है। क्या वसुध के जीवन में प्रभात की पहली किरण के साथ ही एक नई ‘सुबह’ का आगमन होगा? मुम्बई की गृहणी उषा वैष्य की कलम से निकली सामाजिक उपन्यास जो आपके जीवन में प्रेरणा भर देगा।
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