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About The Book
Description
Author
जून का महिना था। चारों ओर सूर्य की किरणें चमक रही थी। करीब साढ़े आठ बज रहे थे। कोचवान ने दो घोड़ों की बग्गी दरवाजे के बाहर लाकर खड़ी कर दी। श्रीमती सुषमा भटनागर अभी-अभी सीढ़ियों से उतरी ही थी कि उनके पति सामने से आते दिखाई दियें! पत्नी को देखकर विजय के हृदय की धड़कन तेज हो गई! सुषमा का सौन्दर्य बेजोड़ था उसके शरीर का शारीरिक गठन अद्वितीय था बड़ी-बड़ी आँखें छोटे-छोटे किन्तु सुन्दर बाल हंसमुख चेहरा शरीर का प्रत्येक अंग मन मोहक था। सुषमा बिना विजय की ओर देखे ही बग्गी पर जा बैठी! विजय का हृदय ईष्या से जल उठा उसने बग्गी रोकते हुए कहा