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About The Book
Description
Author
नन्ही नन्ही कथायें हैं .इस लिए अपनी बात भी नन्ही सी ही होनी चाहिए. नन्ही नन्ही सांसों से बंधी नन्ही सी ज़िन्दगी है. एक जिस्म और कुछ सांसें हैं. उन में नफरतों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. क्योंकि .. जिस्म तो मकान है और रूह उसमें किरायेदार. मकान मालिक जब चाहता है घर खाली करवा लेता है. जब घर कभी भी ख़ाली कर के जाना ही है तो प्यार के साथ रहना चाहिए. प्यार अपने आप से... प्यार आप से... प्यार लोगों से...प्यार सबसे ...प्यार सारे जहाँ से....प्यार तेरे-मेरे धर्म से...धर्म न मानने वालों से... मुश्किल है ! मगर कोशिश तो कर सकते हैं न ! दुआओं के साथ --जाफ़र मेहदी जाफ़री