नयी पीढ़ी की इस सेल्फ-हेल्प गाइड में, सुपरस्टार ब्लॉगर मजबूत बनने, मुश्किलों का हँसते हुए सामना करने के गुर तो सिखाते ही हैं, साथ ही बताते हैं कि हर समय ‘सकारात्मकता' की कोई जरूरत नहीं है। पिछले कुछ सालों से, मार्क मैंसन-अपने लोकप्रिय ब्लॉग के द्वारा खुद के प्रति हमारी और दुनिया की भ्रामक उम्मीदों से उबरने में हमारी मदद कर रहे हैं। उन्होंने अब अपनी जबरदस्त सोच को इस अभूतपूर्व किताब में उतारा है। मैंसन तर्क देते हैं कि इन्सान गलती भी करते हैं और उनकी एक सीमा भी होती है। वह लिखते हैं, "हर कोई असाधारण नहीं हो सकता-समाज में विजेता और पराजित, दोनों ही तरह के लोग रहते हैं, और अक्सर इसमें आपकी कोई गलती नहीं होती।" मैंसन हमें सलाह देते हैं कि हम अपनी सीमाओं को पहचानकर, उसे स्वीकार करें-वह कहते हैं, यही असली ताकत का स्रोत है। एक बार अपने डर, गलतियों और अनिश्चितता को स्वीकार कर-जब हम इन्हें अनदेखा करना बन्द कर, इनका सामना करते हैं हम वह साहस और विश्वास हासिल कर सकते हैं, जिसे बड़ी बेताबी से हम ढूँढ़ रहे हैं। "जिन्दगी में, हम बहुत ज्यादा लोड नहीं ले सकते। तो आपको होशियारी से चुनना होगा कि किस चीज़ का लोड लें और किसका नहीं ।” मैंसन खुद की आँखों में आँखें डालकर, सच का सामना करने वाले पल निकालकर लाये हैं, और इस किताब को दिलचस्प किस्सों और बेरहम हास्य से भर दिया है । यह किताब हम सबकी पीठ पर वह धौल है, जिसके पड़ते ही हम जमीन पर अपने पैर रखते हुए, आगे के और मनोरंजक सफर पर बढ़ निकलते हैं। मार्क मैसन स्टार ब्लॉगर हैं, जिनके लाखों प्रशंसक हैं। आप न्यू यॉर्क में रहते हैं। द सटल आर्ट ऑफ नॉट गिविंग ए *क आपकी पहली किताब है।.