Sugam Tantragam

About The Book

इस ग्रंथ में ग्यारह प्रष्टा बारह प्रश्नोत्तर-गुच्छ और एक सौ सैंतालीस प्रश्नोत्तर हैं। आचार्य निशांतकेतु जी ने अभी तक विविध विषयों पर एक हजार से अधिक प्रश्नोत्तर दिए हैं जो ग्रंथब( हैं और अब प्रश्नोत्तर-साहस्री के नाम से प्रकाश्य हैं। जैसा कि ग्रंथ का शीर्षक है पाठकों को इन प्रश्नोत्तरों को पढ़ते समय सुगमता और आनंद का अनुभव होगा। उनका पाठकीय यात्रा-पथ कहीं से भी कुशकंटक से भरा नहीं होगा। वे ज्ञान-समृ( अनुभव करेंगे और आगम के सर्वोल्लास-तंत्रा में तरंगित भी होंगे। मैंने आचार्य जी के अनेक ग्रंथों का अध्ययन किया है और उनमें अधिकतर की समीक्षाएँ भी लिखी हैं। आचार्य जी कहते हैं कि किसी व्यक्ति को समझना हो तो उसके ग्रंथों को पढ़ना चाहिए। मेरी यह विशेष उपलब्धि रही है कि मैंने न केवल इनके ग्रंथों का अध्ययन किया है बल्कि इनके शब्दाश्रम में इनके व्यक्तित्व के सन्निधान में बैठकर इनकी देहांग-भाषा और मौन-भाषा का भी मैं साक्षी रहा हूँ। इनकी वैखरी वाणी का तो अध्येता और श्रोता मैं पहले से ही था।इस ग्रंथ के प्रष्टा भी अपने-अपने विषय के साधक विशेषज्ञ और संवदेनशील लोक प्रतिष्ठित लेखक माने जाते हैं।डाॅ. मृत्युंजय उपाध्याय
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