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About The Book
Description
Author
लेखक की कलम से - सुगति शब्द को ठीक से समझने से पहले मानव जाति को दुर्गति शब्द को भी ध्यान में रखना होगा। तब सारी बातें साफ-साफ समझ में आएंगी। मनुष्य जाने-अनजाने में जो कुछ भी करता है उसका परिणाम या तो सुगति होता है या दुर्गति। दुनिया का कोई भी मनुष्य दुर्गति को प्राप्त होना नहीं चाहेगा। लेकिन इसके लिए ज्ञान की आवश्यकता है। ज्ञान नहीं रहेगा तो हमें जाना है दिल्ली और हम चले जाएंगे कोलकाता। ज्ञान नहीं रहेगा तो हम अमृत समझकर जहर भी खा लेंगे। ज्ञान नहीं रहेगा तो हम सुपाच्य समझकर दुष्पाच्य खा लेंगे। ज्ञान नहीं रहेगा तो हम अपने शत्रु को अपना इष्ट बनाकर अपने घर में जगह दे देंगे। ज्ञान नहीं रहेगा तो सुगति के चक्कर में महादुर्गति को प्राप्त हो जाएंगे। इसलिए सबसे पहले हमें यह जानना है कि कौन-सी राह हमें दुर्गति की तरफ ले जाती है और कौन सी राह हमें सुगति की तरफ ले जाती है। बिना इसे जाने हम सिर्फ अंधेरे में तीर चला सकते हैं। इसलिए सबसे पहले हमें इसी बात को जानना चाहिए। यह पुस्तक मानव जाति को सुगति और दुर्गति के विषय में ज्ञान प्रदान करने की दिशा में एक प्रयास है। सुगति और दुर्गति की सारी राहों को कुल नौ अध्यायों में विभक्त करके मैंने विस्तारपूर्वक समझाने की चेष्टा की है। मेरा निवेदन सिर्फ इतना ही है कि जहर पीते समय आप इस बात का ध्यान रखें कि आप जहर पी रहे हैं। इतनी बेहोशी में न रहें कि आप चाह रहे हों अमृत पीना और उसकी जगह आप जहर पी लें। परिणाम को दृष्टि में रखते हुए ही कोई भी राह पकड़ें - मेरा बस इतना ही निवेदन है। श्री राघवेन्द्र 21/05/2020