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About The Book
Description
Author
मैं ख्यालों में अपने कुछ इस तरह उलझा रहा रात भर कल चाँदनी को धूप ही कहता रहा दोस्तों ने वक़्त पर तय कर लिया अपना सफ़र रेत पर मैं जिंदगी की दास्तां लिखता रहा। ये सच है की इंसान को जिंदगी के हर मोड़ पर कोई ना कोई फ़ैसला लेना पड़ता है और जब उस फ़ैसले से जिन्दगी ही दाव पर लग जाए तो इंसान बहुत सोचता है परेशान होता है और इसके बावज़ूद जब कुछ समझ नहीं आता तो फ़िर वहीं उसी मोड़ पर रुके रहने को ही ठीक समझता है। #सुनो - अधूरा इश्क़ किताब में जो शेर और ग़ज़लें लिखी गयी है ये सब मैंने जिंदगी के उसी मोड़ पर चार साल रुके रहकर लिखा है।