Suno Bhai Sadho (सुनो भई साधो)
Hindi

About The Book

सत्य जब बोलता है तो कोहराम मच जाता है अंधेरे तलघरों में। सत्य पर प्रहार होते हैं कि वह मुखर न हो सके--और इस सबके बीच सत्य और महिमामंडित होकर खिलता है। यह पुस्तक रेखांकन है इसी जीवंत घटना का|.....,"कबीर अनूठे हैं। और प्रत्येक के लिए उनके द्वारा आशा का द्वार खुलता है। क्योंकि कबीर से ज्यादा साधारण आदमी खोजना कठिन है। और अगर कबीर पहुंच सकते हैं, तो सभी पहुंच सकते हैं। कबीर निपट गंवार हैं, इसलिए गंवार के लिए भी आशा है; बे-पढ़े-लिखे हैं, इसलिए पढ़े-लिखे होने से सत्य का कोई भी संबंध नहीं है। "— ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: मुमुक्षा का क्या अर्थ है? हृदय में विवेक का क्या अर्थ होता है? प्रेम के कितने रूप धर्म और संप्रदाय में भेद मृत्यु के रहस्य अनुक्रम #1: माया महाठगिनी हम जानी #2: मन गोरख मन गोविंदौ #3: अपन पौ आपु ही बिसरो #4: गुरु कुम्हार सिष कुंभ है #5: झीनी झीनी बिनी चदरिया #6: भक्ति का मारग झीना रे #7: घूंघट के पट खोल रे #8: संतो जागत नींद न कीजै #9: रस गगन गुफा में अजर झरै #10: मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले उद्धरण: सुनो भई साधो - पहला प्रवचन - माया महाठगिनी हम जानी कबीर अनूठे हैं। और प्रत्येक के लिए उनके द्वारा आशा का द्वार खुलता है। क्योंकि कबीर से ज्यादा साधारण आदमी खोजना कठिन है। और अगर कबीर पहुंच सकते हैं, तो सभी पहुंच सकते हैं। कबीर निपट गंवार हैं, इसलिए गंवार के लिए भी आशा है; बे-पढ़े-लिखे हैं, इसलिए पढ़े-लिखे होने से सत्य का कोई भी संबंध नहीं है। जाति-पांति का कुछ ठिकाना नहीं कबीर की--शायद मुसलमान के घर पैदा हुए, हिंदू के घर बड़े हुए। इसलिए जाति-पांति से परमात्मा का कुछ लेना-देना नहीं है। कबीर जीवन भर गृहस्थ रहे--जुलाहे--बुनते रहे कपड़े और बेचते रहे; घर छोड़ हिमालय नहीं गए। इसलिए घर पर भी परमात्मा आ सकता है, हिमालय जाना आवश्यक नहीं। कबीर ने कुछ भी न छोड़ा और सभी कुछ पा लिया। इसलिए छोड़ना पाने की शर्त नहीं हो सकती। और कबीर के जीवन में कोई भी विशिष्टता नहीं है। इसलिए विशिष्टता अहंकार का आभूषण होगी; आत्मा का सौंदर्य नहीं। कबीर न धनी हैं, न ज्ञानी हैं, न समादृत हैं, न शिक्षित हैं, न सुसंस्कृत हैं। कबीर जैसा व्यक्ति अगर परमज्ञान को उपलब्ध हो गया, तो तुम्हें भी निराश होने की कोई भी जरूरत नहीं। इसलिए कबीर में बड़ी आशा है। बुद्ध अगर पाते हैं तो पक्का नहीं कि तुम पा सकोगे। बुद्ध को ठीक से समझोगे तो निराशा पकड़ेगी; क्योंकि बुद्ध की बड़ी उपलब्धियां हैं पाने के पहले। बुद्ध सम्राट हैं। इसलिए सम्राट अगर धन से छूट जाए, आश्चर्य नहीं। क्योंकि जिसके पास सब है, उसे उस सबकी व्यर्थता का बोध हो जाता है। गरीब के लिए बड़ी कठिनाई है--धन से छूटना। जिसके पास है ही नहीं, उसे व्यर्थता का पता कैसे चलेगा? बुद्ध को पता चल गया, तुम्हें कैसे पता चलेगा? कोई चीज व्यर्थ है, इसे जानने के पहले, कम से कम उसका अनुभव तो होना चाहिए। तुम कैसे कह सकोगे कि धन व्यर्थ है? धन है कहां? तुम हमेशा अभाव में जीए हो, तुम सदा झोपड़े में रहे हो--तो महलों में आनंद नहीं है, यह तुम कैसे कहोगे? और तुम कहते भी रहो, तो भी यह आवाज तुम्हारे हृदय की आवाज न हो सकेगी; यह दूसरों का सुना हुआ सत्य होगा। और गहरे में धन तुम्हें पकड़े ही रहेगा। बुद्ध को समझोगे तो हाथ-पैर ढीले पड़ जाएंगे। बुद्ध कहते हैं, स्त्रियों में सिवाय हड्डी-मांस-मज्जा के और कुछ भी नहीं है, क्योंकि बुद्ध को सुंदरतम स्त्रियां उपलब्ध थीं, तुमने उन्हें केवल फिल्म के परदे पर देखा है। तुम्हारे और उन सुंदरतम स्त्रियों के बीच बड़ा फासला है। वे सुंदर स्त्रियां तुम्हारे लिए अति मनमोहक हैं। तुम सब छोड़ कर उन्हें पाना चाहोगे। क्योंकि जिसे पाया नहीं है वह व्यर्थ है, इसके जानने के लिए बड़ी चेतना चाहिए। — ओशो
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE