Sunset Club
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पंचानवे वर्ष की उम्र में खुशवंत सिंह की यह उपन्यास लिखने की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन उनके अंदर का लेखक कुछ लिखने को कुलबुला रहा था और जब उनकी एक मित्र ने उन्हें अपने दिवंगत दोस्तों की यादों को शब्दों में गूंथने की सलाह दी तो उन्हें यह बात जम गई और पुरानी यादों में कल्पनाओं के रंग भरकर बना सनसेट क्लब। तीन उम्रदराज दोस्त हर शाम दिल्ली के लोदी गार्डन सैर के लिए आते हैं। बाग में लगी एक बेंच उनका अड्डा है जहाँ वे रोज कुछ देर गपशप करके अपनी जीवन-संध्या में रंग भरने की कोशिश करते हैं।
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