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About The Book
Description
Author
जीवन में अपेक्षित सफलता के लिए व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास बेहद जरूरी है। ज्यादातर लोग व्यक्तित्व का अभिप्राय व्यक्ति के बाहरी पक्ष के आकर्षण से समझते हैं; लेकिन ऐसा नहीं है। व्यक्तित्व—बाहरी और भीतरी— सर्वांगीण विकास का नाम है। व्यक्तित्व-निर्माण का प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत सवाल है। इसका किसी दूसरे व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। दूसरा कोई भी व्यक्ति आपके मन तथा व्यक्तित्व को बलवान एवं दृढ़ नहीं बना सकता। कोई भी व्यक्ति आपको दुर्बल से शक्ति-संपन्न असफल से सफल और कुछ नहीं से सब कुछ नहीं बना सकता। आप स्वयं ही सबकुछ बन सकते हैं और आप में वह सब करने की शक्ति व सामर्थ्य मौजूद है। व्यक्तित्व-विकास के प्रति निरंतर सजग रहकर आप सफलता व उपलब्धियों के क्षितिज पर अपने वर्चस्व के सुनहरे हस्ताक्षर दर्ज करा सकते हैं। व्यक्तित्व में श्रेष्ठता से आपका आपके परिवार व संपर्क-क्षेत्र का तो भला होगा ही आप और बेहतर सुंदर व सभ्य समाज निर्मित करने में अपना बेशकीमती योगदान देंगे। श्रेष्ठ और सक्षम मनुष्यों से भरी-पूरी दुनिया अनेक मायनों में स्वर्ग होगी। सुपर पर्सनैलिटी विकसित कर अनलिमिटेड सफलता प्राप्त करने की एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है यह पुस्तक।