Surkhaab Ke Par Mazdoor se malik Tak ka Safar
by
Hindi

About The Book

“कैसे कर लिया”? कैसे हो गया”? ये जो वाक्य हैं ना इसे सुनकर मन ही मन मुस्कुराए बिना आप रह नहीं सकते। जब आप कोई उपलब्धि हासिल करते हैं] लेकिन जानने वाले को आपसे इसकी कतई उम्मीद नहीं होती तभी ये सवाल अक्सर पूछा जाता है। कुछ ऐसा ही घटित हुआ था बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण जिले में। गांधी की कर्मभूमि ने वो कर दिखाया था जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। ठीक सुर्खाब के पर की तरह जिसे किसी ने नहीं देखा लेकिन बात सभी करते हैं। इस उपलब्धि के बारे में सुनकर कई लोगों ने कई बार बार-बार यह सवाल पूछा। लेकिन इस सवाल का जवाब चंद समय में देना कठिन ही नहीं दुष्कर है। इसलिए मैंने यह किताब लिखने की सोची। यह किताब एक पुरी यात्रा का वृतांत है। उन खट्टे-मीठे अनुभव का संकलन है जिसे जिला प्रशासन ने झेला। और कुछ लोग इसे मात्र एक सवाल का जवाब समझ कर जानना चाहते हैं। यह किताब ‘‘मजदूर’’ के ‘‘मालिक’’ बनने तक का सफरनामा है।मैं इतना कह सकता हूँ कि आप जब इस किताब को हाथ में लेंगे तो बिना इसे पूरा किए नहीं उठेंगे। इसमें लिखी एक-एक घटना का मैं खुद गवाह हूँ। कोई भी घटना बनावटी नहीं है। मैंने कोशिश की हैं अपने पाठकों को बांधे रखने की। तो जरूर लुत्फ़ उठाए इस किताब का ‘‘सुर्ख़ाब के पर’’ का ‘‘मजदूर से मालिक बनने तक के सफर का’’।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE