Suryabala  Ek  Shinakht  (सूर्यबाला एक शिनाख़्त)
Hindi

About The Book

इसलिए तो माई मुझे हमेशा फुसफुसा कर समझाती है—“कुन्नू बाबू को कभी कबड्डी में पकड़कर चोर मत करना कुन्नू बाबू से कंचे मत जीतना कुन्नू बाबू से लूडो इस तरह खेला कर कि उनकी गोटी सीढ़ी चढ़ती ही चली जाए ऊपर तक और br>तेरी गोटी को साँप निगलता ही चला जाए” सो मैं खूब चालाकी और समझदारी से खेलता हूँ। लूडो में अगर दो खानों के बाद साँप का मुझेहाँह पड़ता है और मेरा चार का नंबर आ जाता है तो मैं जल्दी से डाइस का नंबर दो कर देता हूँ—बस मेरी गोटी को साँप खा जाता है। और इस बार तो हुजूर बाहर से लौटेतो कुन्नू बाबू के लिए बहुत बढ़िया लाल रंग की गेंद और विकिट बल्ला ले आए। कुन्नू बाबू मुझे बुलाकर चिल्लाये—“मटरुआ! चल किरकेट खेलेंगे।” मैं चंट विकिट गुल्ली-बल्ला सँभाले पीछे-पीछे हो लिया। जहाँ उन्होंने कहा सब फि‍ट कर दिया। कुन्नू बाबू को सिर्फ बल्ला मारने का ही शौक है। इसीलिए तो मैं गेंद ही 11 फरिश्त फेंकता हूँ हमेशा। पर गेंद फेंकना आसान काम नहीं भइया जी। हमेशा सँभालकर चौकस होकर फेंकना पड़ता है कि कुन्नू बाबू के हाथ-पैर या माथे पर न लग जाए। बहुत तेजी से न मार दूँ। ज्यादा धीरे से भी नहीं। बस ऐसी कि‍ गेंद जाकर कुन्नू बाबू के बल्ले से आपसे-आप टकराए और ऐसे टकराए कि कुन्नू बाबू हुमककर बल्ला मारें तो दूर निकल जाए। जब दूर निकल जाती है तो कुन्नू बाबू खुश होकर चिल्लाते हैं—“मटरुआ देख छक्का लगाया है।” कुन्नू बाबू का खेल देखकर बीबी जी खुश होती हैं और मेरा खेल देखकर माँ। लेकिन सच-सच कहूँ भइया जी तो मेरा मन करता है कि एक बार सिर्फ एक बार वह लाल गेंद हाथों की मुठ्ठी में कसकर पूरी ताकत से फेंककर देखता मेरी गेंद आखिर कहाँ तक जा सकती है सिर्फ यह जानने के लिए कि मेरे हाथों में आखिर कितना दम है। मुझे पता तो चले लेकिन माँ यह सब सुनते हदस जाती—“नहीं तू अपना दम कभी नहीं आजमाना मटरुआ। कभी नहीं br>तेरा काम खेलना नहीं सिर्फ खेलाना है कुन्नू बाबू को। तुझे खेलाने की ही तो खुराकी मिलाती है।”.
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE