*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹275
₹300
8% OFF
Hardback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
स्वच्छता एक संस्कार है। शिशु के अंदर स्वच्छता के भाव भरे जाते हैं। उन्हें स्वच्छतापूर्ण व्यवहार सिखाए जाते हैं। दादी और माँ को लिपे-पुते घर-आँगन तथा चौकाघर को प्रणाम करके ही प्रवेश करते देख शिशु भी अनुकरण करता रहा है। प्रात:काल दातून करने से लेकर स्नान करते समय सभी अंगों की सफाई मन को उत्सवीय ही बनाता है। बचपन में डाले गए स्वच्छता के ये संस्कार व्यक्ति के जीवन-व्यवहार में सहज अभ्यास बन जाते हैं। भारतीयों की पहचान है स्वच्छता। प्रतिदिन स्नान शरीर की सफाई प्रतिपल अहिंसा अस्तेय अपरिग्रह और संतोष की सोच आंतरिक स्वच्छता है। घर आँगन गली-मुहल्ले की सफाई बाहरी स्वच्छता है। भारत में स्वच्छता अभियान अवश्य सफल होगा। स्वच्छता मात्र एक नारा नहीं समाज के जीवन-व्यवहार में ढलकर पुन: अभ्यास बन जाएगी। विश्व-ल पर पुन: भारत की विशेष पहचान बनाने में स्वच्छतापूर्ण जीवन पहली सीढ़ी होगा। इस पुस्तक में स्वच्छता के भारतीय इतिहास और वर्तमान के साथ व्यक्तिगत व्यवहार में शामिल के के उपाय संकलित किए गए हैं। आशा है यह पुस्तक स्वच्छता के प्रति हमारी दृष्टि स्वच्छ और स्पष्ट करेगी जिसकी महती आवश्यकता है|