कैरेबियाई देशों में हिन्दी शिक्षा ओर सूरीनाम हिन्दी परिषद शीर्षक से इस पुस्तक को मैंने उस समय पूरे विश्व में हिन्दी की अलख जगाने वाले देश के प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी कविता 'जंग न होने देंगे' के अंग्रेजी अनुवाद सहित समर्पित की। पुस्तक के प्रकाशन की प्रति जब उन्हें भिजवायी तो सूरीनाम के डिप्लोमैटिक बैग में प्रधानमंत्री जी को पत्र मेरे नाम आया। मेरे लिए ईश्वरीय वरदान की तरह उनका पत्र था। जिसने विदेश में भी मुझे स्वदेश के घर का सुख की अनुभूति दी। और लगा मैं विदेश में नहीं बल्कि स्वदेश स्वदेश के घर में दूँ और मेरे संरक्षक ने आशीष पत्र देकर मुझे घर में होने की दुर्लभ अनुभूति दे दी है।
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