स्वर मंजरी केवल एक पुस्तक नहीं एक ज्ञान का भंडार है। स्वर मंजरी में कुछ ना कुछ ज्ञान व अनमोल सीख को उद्देश्य में रखकर ही मैंने लिखना शुरू किया। जैसे स्वर मंजरी दो शब्दों का मेल है स्वर और मंजरी बिना स्वर मंजरी अधूरी है उसी तरह इसमें भी ज्ञान और अनमोल रत्नों का मेल है। स्वर मंजरी को सफल बनाने के लिए मैं शुभ जैन जी और उनके परिवार की शुक्रगुजार हूं। और तहे दिल से धन्यवाद व्यक्त करती हूं। धन्यवाद आपकी अपनी वसुन्धरा सेशाद्री जी वी एस
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