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About The Book
Description
Author
स्वर सागर में मेरी भावनानुसार नाम जागृत हुआ। शब्दों का मेल सागर सा विशाल है जो सागर सा अनंत है । जिसमें शब्दों ने कविताओं का रूप धारण कर लहरों सी शोर करती हुई इस महा सागर में अनंत लेख साथ लिए धरा प्रवाह सी चलती जाए लहरों सी शोर मचाये । हर लहर संग कहानी बनती जाए रूप रास स्वर (हर शब्द के कदमों से रेत पर समुन्द्र किनारे अपनी छाप दिखाते जाए अनंत लहरों संग बहती जाये । हर शब्द में भाव छुपाए ।