व्यक्ति बनें तो ही आप सत्य को जान सकेंगे। और व्यक्ति बनने की पहली आधारशिला यहीं से शुरू होती है कि हम यह जानें कि असंदिग्ध रूप से जो सत्य मेरे निकटतम है वह मैं हूं। कोई दूसरा मेरे लिए उतना सत्य नहीं है जितना मैं हूं। कोई दूसरा किसी के लिए सत्य नहीं है--उसकी स्वयं की सत्ता। और वहां प्रवेश करना है। और वहां पहुंचना है। और इसके लिए जरूरी है कि ये जो भीड़ के संगठन हैं ये जो भीड़ के चारों तरफ आयोजन हैं उनसे थोड़ा अपने को बचाएं और स्वयं में प्रवेश करें। थोड़ा एकांत खोजें अकेलापन खोजें थोड़ी देर अपने साथ रहें। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: क्या आप अपने को जानना चाहते है? जीवन की समस्या क्या है? क्या आप स्वतंत्रा चाहते है? क्या है विवेक का मार्ग?
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