Taash Ke Bawan Patte

About The Book

कुछ वृतान्त जीवन को इतना प्रभावित करते हैं कि मनुष्य अपना ध्येय ही निश्चित कर उस मार्ग पर अग्रसर हो जाता है हिंस्र पशु शेर का सद्यजन्मे हिरण के छौने का मृत मॉं के स्तनों से दूध पीने का दृश्य देखना उस शेर में मातृत्व जगा जाता है वो भूखा होकर भी शावक को खाता नहीं और उस छौने के लालन पालन में लग जाता है। शेर न शिकार कर पाता है न उस हिरण शावक को त्याग पाता है अंत में एक दिन शेर भूख से बिलख बिलख कर मर जाता है। ताश के बावन पत्ते उपन्यास भी ऐसे ही एक घटना पर आधारित उपन्यास है । एक जिज्ञासु का ज्ञान पिपासा को शांत करने के लिए एक महात्मा की खोज में आना महात्मा का ताश के खेल में बेठा हुआ मिलना उसे झझकोर देता है। लेकिन वो महात्मा उसके मन को पढ़ कर खेल खेल में ही सारा वेदान्त का ज्ञान ताश के पत्तों पर उसे आबंटित कर देता है। इस घटना ने लेखक को यह उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया । यह उपन्यास मनोरंजन के साथ साथ अध्यात्म की व्याख्या भी करता है। परोक्ष रूप में सन्यासी महात्मा का साक्षी स्वरूप इस उपन्यास की रचना में सहायक रहा है। उपन्यास लीक से हटकर है पाठक को परमानन्द प्राप्ति होगी ऐसी आशा है।
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