TAIN KI DARD NA AAYA

About The Book

इस उपन्यास में लेखक बस्तियों की ज़िन्दगी के जरिये आर्थिक और सामाजिक तौर पर हाशियागत वर्गों के जीवन को सचेत स्तर पर चित्रित करते हुए जीवन्त और वास्तविक विवरणों के साथ एक लबरेज़ टैक्सट सृजित करता है। सहजता इस टैक्सट का अमीर गुण है। इस उपन्यास की समूची कथावस्तु हमारी वृत्तांत-परंपरा और सांस्कृतिक व्यवहार में से अपना वजूद ग्रहण करती है। उपन्यासकार समकालीन विवरणों को भी संबोधित होता है। यह समकाल नए आर्थिक-सामाजिक रिश्तों में से बन रहा है। इसीलिए इस टैक्सट का मुहावरा कस्बई संस्कृति वाला है। घटनाएँ यथार्थमुखी है और दृष्टि प्रभावमुखी। - -●डॉ. रजनीश बहादुर सिंह●
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