'तलाश है' कविता संग्रह किसी भटके हुए की तलाश न करते हुए ख़ुद भटक जाने की यात्रा है। यहाँ लेखक अपने अंदर भटकता है फिर वह कविता के गलियारे से बाहर निकलता है। उसे कविता न मिली होती तो शायद कभी बाहर नहीं निकल पाता और अपने अंदर ही क़ैद रह जाना काले पानी की सजा से कम नहीं। बिना सलाखों की क़ैद सबसे भयानक क़ैद है। भयानक इसलिए है कि इस क़ैद में मिलाई की तारीख़ आती है पर आप किसी से मिलना नहीं चाहते। भयानक इसलिए भी है कि इस क़ैद में कोई संतरी भी आपकी निगरानी के लिए नहीं खड़ा होता है। --- सोमेन्द्र ‘सोम’ वर्ष 2017 बैच के IPS अधिकारी हैं। ‘सोम’ मूलतः राजस्थान के करौली जिले से ताल्लुक रखते हैं। ‘सोम’ ने प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय सवाई माधोपुर से ग्रहण की। तदुपरांत दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से भूगोल में स्नातक की पढ़ाई की। इस दरम्यान दिल्ली विश्वविद्यालय की अंर्तमहा विद्यालययी विभिन्न क्विज प्रतियोगिताओं के और ‘मानचित्रों द्वारा भूगोल’ की प्रतियोगिताओं के प्रथम विजेता रहे। ‘सोम’ को उत्तर प्रदेश कैडर आवंटित किया गया है। वह प्रयागराज में सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर सेवा दे चुके हैं। प्रोन्नत होकर कानपुर में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पूर्वी जोन के पद पर पदस्थापित रहे हैं। ‘सोम’ वर्तमान में आगरा में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के पद पर पदस्थापित हैं। ‘तलाश है...’ कविता संग्रह उनका पहला संग्रह है जो प्रकाशित हो रहा है। सोमेन्द्र ‘सोम’ द्वारा यह कविता संग्रह अपने माता-पिता और सभी शुभचिंतको को समर्पित किया है।
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