Talkies : Cinema Ka Safar-1


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About The Book

यह किताब एक सुहाना सफ़र है जिससे गुजरते हुए हम पर्दे के दूसरी तरफ की दुनिया से रूबरू होते हैं | वो दुनिया सिनेमा की दुनिया है जादू-भरी दुनिया है जहाँ लेखक एवं फिल्म-समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज और मयंक शेखर फिल्म-जगत के दिग्गज और अपनी विधा के माहिर फिल्म निर्देशकों से बातचीत करते हुए हमें अपने साथ लेकर चलते हैं | घर की गलियों से शुरू हुई बातें फिल्म इंडस्ट्री की टेढ़ी-मेढ़ी सीढ़ियों और उतार-चढाव के तमाम किस्सों को हमारे सामने लेकर आती हैं | यह किताब फिल्म बनाने की तकनीक उसकी बारीकियों और परेशानियों को मजेदार किस्सों में पिरोकर पाठकों के सामने लाती है और हम जान पाते हैं कि फिल्म बनाने का आइडिया कैसे आता है कैसे वह कहानी में बदलता है फिर उसका स्क्रिप्ट में बदलना और आखिरकार फिल्म का तैयार होना | यह किताब इसलिए भी महत्त्पूर्ण है कि यह आज के दौर में सिनेमा बनाने की चुनौतियों और फ़िल्मी दुनिया के बड़े एक्सपोजर को सही तरह से आत्मसात कर पाने की क्षमता का भी बखूबी बखान करती है | दरअसल इस बातचीत को संभव बनानेवाला जागरण फिल्म फेस्टिवल भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा फेस्टिवल है जो देश के 16 शहरों में आयोजित किया जाता है | यहाँ देश-विदेश के सिनेमा डॉक्यूमेंट्री और एड फ़िल्में खुद चलकर दर्शकों के सामने आती हैं | यह किताब सिनेमा को देखने-परखने की ही नहीं बल्कि उसे जीने की भी कला सिखाती है |
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