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About The Book
Description
Author
ये कविताएँ कविता की भीड़ में अलग रंग की पताका जैसी दूर से दिख जाती हैं। अपने रंग से ये कविता के आकाश को न सिर्फ सुशोभित करती हैं बल्कि अपने खेमे की शिनाख्त के लिए एक बड़ी सहूलियत भी उपलब्ध कराती हैं। इन कविताओं के लिए एक और रूपक मेरे जेहन में उभरता है। वह रूपक महाभारत के महान रण में योद्धाओं के शंख नाद की पहचान जैसा है। अनिल की कविता में उनके काव्य शंख की नाद दूर से न सिर्फ देखी जा सकती है बल्कि सुनी भी जा सकती है। - बोधिसत्व