Tang Galiyo ke band Darwaje


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About The Book

यह उपन्यास ‘‘तंग गलियों के बंद दरवाजे’’ मेरा प्रथम प्रयास है। इससे पहले मेरी एक पुस्तक ‘‘पेपर गुलदस्ता’’ कहानी कविता एवं संस्मरण की छप चुकी है किन्तु उपन्यास के रूप में यह नवीन एवं प्रथम प्रयास है। यह उन ज्वलंत घटनाओं का प्रतिबिंब है जो हमारे देश-समाज में अक्सर घटित हो रही है। उपन्यास की नायिका एक कच्ची उम्र की अपरिपक्व बालिका है जो परिवार की सलाह को समझे बिना एक सोची समझी चालबाजी और सौदेबाजी की शिकार हो जाती है। वह परिवार और माता-पिता पर अविश्वास कर किसी पराये पर अति विश्वास के साथ घर एवं परिवार को छोड़कर उस अनजान मित्र के साथ जाने पर किन परिस्थितियों का सामना करती है। कैसी-कैसी यातनाओं को सहती है। अनजान मित्र जो कि एक बहुत ही चालाक और शातिर शिकारी है नायिका को अपनी बातों में फंसाकर प्यार की पींगे बढ़ाता है वह अपरिपक्व और कच्ची उम्र में नायिका को रंगीन सपने दिखाकर देह व्यापार की उन तंग गलियों के बंद दरवाजे के पीछे धकेल देता है जो सिर्फ अँधेरी सुरंग है जहां जाने का रास्ता तो है पर बाहर निकलने के लिए सिर्फ मौत या मौन ही है।
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