*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹154
₹200
23% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
तन्हाइयों से रिश्ते : जब मैंने सोचा कि इस कविता संकलन की क्या आवश्यकता है? मेरे अंदर की खुदगर्ज आवाज ने मुस्कुराकर मेरा साथ दिया और कहीं मन की परतों में धीरे-धीरे सांस लेती सच्चाई ने मेरी आंखों से देख कर मुझसे मुंह फेर लिया। बस इसी रस्साकशी मैं यह निर्णय लिया कि आज सब पढ़ेंगे इस इन कविताओं को.... बस इसकी मंजिल हुई है। मेरा कुछ आप तक पहुंच सके बस किसी तरह शब्द आज़ाद हों... आप लोगों तक पहुंच कर। बिना लाग लपेट के जो भी गुजरा बीते कुछ सालों में उसे पलटकर बार-बार देखा समझा और जब भर गया मेरा सक्ष्म सा आसमां गहरे बादलों से... मैंने कुछ कोरे कागजों में जमा कर दिया। इन कविताओं का जन्म भी असमय और असामान्य परिस्थितियों में हुआ। मेरे मन की गागर भिन्न मनःस्थितियों से ओत-प्रोत हो जहां-जहां वो छलक जाए यह विचार कर कलम थाम ली। यह बात भी विचारणीय थी कि जो करीब था वह मौन हो चला। मैंने कविताओं के चुनाव नहीं किया। एक रिसाव थम नहीं रहा था.... और लाचार मन ने कलम की लाठी से इश्क कर लिया इस से जटिल रास्ता आसान दिखने लगा। मजाक तंज खुशी अश्रु तिरस्कार फरेब शून्य ... इन सब के कोलाहल से रास्ता तय किया। अब मेरी यह कविताएं आप को समर्पित है। मेरी कविताओं के निर्णायक अब आप सभी पाठक हैं।--