मेरा पहला काव्य संग्रह समाप्त होने पर प्रतिध्वनि के रूप में असीम स्नेह और प्रशंसा मिली जिससे मुझे अभिमान हुआ। इसी अभिमान के साथ मैं अपनी दूसरी कविता संग्रह 'तपस जीवन का अग्निपथ' का प्रकाशन करने जा रही हूं। इस संग्रह में नई सोच नए आयाम और नया आरंभ हैं जो इस पुस्तक के नीचे दिए गए पंक्तियों में दिखते हैं। आज मैंने सूरज को 'सूरज' से लड़ते हुए देखा अंबर के कदमों में क्षितिज को झुकते हुए देखा। मैंने देखा कि यदि हम इच्छा करें तो आसमान को अपनी मुट्ठी में भर लें और यदि हम इसे खोलें तो तारे भी जमीन पर गिरते हुए दिखाई देंगे। इसी भाव संवेदना के साथ मेरी पुस्तक में दी गई कविताएं देशभक्ति प्रकृति प्रेम प्रभु-भक्ति सुख-दुख मां का वात्सल्य भाव भाईचारा आदि विभिन्न भावों से ओत-प्रोत हैं।
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