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About The Book
Description
Author
जीवन सतत् प्रवाहमान सरिता की तरह होता है। नदी अपने उद्गम स्थल से निकल कर पहाड़ों से टकराती चट्टानों को तोड़ती वन- प्रान्तर मैदानों को सींचती हुई अपने मार्ग में आने वाली किसी भी बाधा की परवाह किये बगैर अपने गन्तव्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ती जाती है। परमार्थ स्वरूप जग के कल्याण के लिए अनवरत कार्य करती जाती है। इसी भाव को हृदय में समाहित करके प्रस्तुत कविता- संग्रह को तटिनी शीर्षक के तहत कवियित्री ने अपनी लेखनी से कागज पर उकेरा है। इनकी प्रत्येक कविता एक स्वतंत्र मुक्तक गीत के रूप में प्रकृति जीवन और जगत की संवेदना के गहन अनुभूति से हमें परिचित कराती है।