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Description
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हरिओम की कविताएं पौधे की तरह लोकजीवन की धरा पर पनपी हैं और अपना जीवन-रस वहीं से प्राप्त करती हैं। निराला नागार्जुन मुक्तिबोध केदार त्रिलोचन और धूमिल की परम्परा से जुड़ी इस संकलन की कविताएं हिन्दी कविता की सशक्त धरोहर की जीवन्तता का प्रमाण हैं।