तेरे शहर ( Tere Shehar) | Manish
Hindi

About The Book

कुछ मुलाकातें यूँ ही नहीं होतीं — किस्मत उन्हें अपने तरीके से तय करती है।“तेरे शहर” दो अनजान आत्माओं की कहानी है जिन्हें जीवन की उदासी और शब्दों के बीच एक-दूसरे का सहारा मिलता है।एक लड़का जो प्यार में धोखा खा चुका है अपने बिखरे जज़्बातों को इंस्टाग्राम की अधूरी पंक्तियों में ढालता है। दूसरी ओर एक लड़की है — जो अपने टूटे रिश्ते और दर्दभरे अतीत से लड़ रही है। जब उसकी नज़र उन अधूरे अल्फ़ाज़ों पर पड़ती है तो उसे उनमें अपना दर्द दिखाई देता है।धीरे-धीरे उन दोनों के बीच शब्दों से शुरू हुई बातचीत एक ऐसी डोर में बदल जाती है जिसमें सुकून समझ और अपनापन है। लेकिन किस्मत की अपनी कहानी होती है — जो कभी-कभी सबसे खूबसूरत रिश्तों को भी अधूरा छोड़ देती है।यह कहानी है टूटे दिलों के मिलन की अधूरी मोहब्बत की और उस इंतज़ार की जो वक्त से बड़ा हो जाता है।क्योंकि कुछ वादे वक्त नहीं तोड़ सकता — खासकर वो जो दिल से किए जाएँ।
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